जो ये खेल
जो खेल है
ये धर्म के नाम पर जो खेल है,
वह बहुत ही घातक है,
कबतक ये सब चलेगा,,
समझ नही आता है,,
ईश्वर आराध्य आदर्श न होकर,,
पोस्टर नारों जयकरो,,
निजी बल संख्या प्रदर्शन,,
चमकता निज आभा है,,
कौन सा रूप आधुनिक,,
संसाधनों की भरमार,,
मानवता का कोई मर्म नही,,
ये तो धर्म से नही नाता है,,
कराह रही है नैतिकता,,
सिर्फ जातियों की एकता,,
भृमत्त्व की बाढ़ है सब,,
क्या यही धर्म सिखाता है,,
मानक लाल मनु,,