जागरण शुद्धावस्था
कर ले रे बंदे *भक्ति,
भक्ति में है ***शक्ति,
उम्र दराज नहीं मैं *व्यक्ति,
*जागरण ही मेरी अभिव्यक्ति.
*
खुद का संग कर ले,
*ठोकरें नहीं लगेगी,
मत बन भीड़ का *हिस्सा,
लोग सुनेंगे तेरा **खिस्सा,
*
पूछे खुद से सवाल,
हों जायेंगे *कमाल,
जीवन करे *धमाल,
नहीं रहेगा *मलाल
*
तू *जिम्मेदार बनेगा,
जवावदेही समझेगा,
व्यर्थ की मंशा से बचेगा,
जो करेगा *खरा मिलेगा,
*
सुसुप्ति हटेगी,
स्वप्नावस्था टूटेंगे,
सिर्फ़ जागरण बचेगा,
वही तेरी *शुद्धावस्था है.
*
वैद्य महेन्द्र सिंह हंस