ज़ुर्म-ए-मोहब्बत
यार, दोस्त कोई भी न अब मुझसे मिला करेगा,
ऐ ख़ुदा! इससे ज़्यादा तू मेरे साथ क्या बुरा करेगा!
हर सजदे में तुझसे सिर्फ़ उसे ही मांगा था मैंने,
सोचा न था तू भी मुझे औरों सा अनसुना करेगा।
इक उसके आ जाने से ज़िंदगी में नूर आ गई थी,
कहां पता था कि तू इतनी जल्दी हमें जुदा करेगा।
बताया ही नहीं किसी ने मोहब्बत करना ज़ुर्म है यहां,
सज़ा-ए-मौत नहीं मिलेगी, ता-उम्र दिल दुखा करेगा।।
-©® Shikha