ज़िस्म की खुश्बू,
तेरे ज़िस्म की खुश्बू,
तेरे कपडों से आती है !
मेरे सूने आँगन को,
उपवन सा महकाती है !!तेरे ज़िस्म की खुश्बू,
जब तुम पास नही,
गँध तुम्हारी सहलाती है!!तेरे ज़िस्म की खुश्बू,
बार-बार वस्त्रों को चूम,
तेरा अह्सास दिलाती है!!तेरे ज़िस्म की खुश्बू,
साँझ-सवेरे सहला कर,
मुझमे आग लगाती है !! तेरे ज़िस्म की खुश्बू,
उनको छूकर अन्तस मे,
तेरा आभास कराती है !!तेरे ज़िस्म की खुश्बू,
बोधिसत्व कस्तूरिया २०२ नीरव निकुन्ज सिक्न्दरा आगरा २८२००७