ज़िन्दगी
जिंदगी जीना आसान नहीं होता,
हर बस्ते में स्कूल का सामान नही होता।
वैसे तो एक उम्र तक बच्चे होते है सभी,
पर एक उम्र के बाद कोई बच्चा नही होता।
बचपन मे बड़े होने पर पता चला,
बड़ा होना बचपन सा आसान नही होता,
उम्मीद, जिम्मेदारी, परिवार, और बहुत,
ये सब देखना आसान नही होता।
बचपन का रूठना – मनाना तो अच्छा था,
अब तो रूठना जैसे गुनाह है,
खुद ही रूठ कर मान जाओ,
एक उम्र के बाद कोई नहीं मनाता।
इन बिंदुओ का क्या मतलब है? अब समझे,
एक आये तो रुकना, और ज्यादा तो चलना,
रुक जाना या चलते रहना, हा हा हा हा
कुछ भी आसान नहीं होता।