ज़िन्दगी
आधार छंद – वाचिक स्रग्विणी (मापनीयुक्त मात्रिक)
मापनी – 212 212 212 212
समांत – ‘ ईत ‘,पदांत – ‘ है जिंदगी’.
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गीतिका :-
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आस विस्वास की मीत है ज़िन्दगी ।
शौक से गाइये गीत है ज़िन्दगी।१
एक पल दर्द का दूसरा है खुशी,
अग्नि-सा है तपन शीत है ज़िन्दगी । २
क्या मिला खो गया ये नहीं सोचना,
बस निभाते चलो रीत है ज़िन्दगी। ३
हो अँधेरा घना ढूंढ लो रोशनी,
हार के बाद ही जीत है ज़िन्दगी। ४
सत्य के मार्ग पर नित्य बढ़ते चलो
झूठ के साथ भयभीत है ज़िन्दगी। ५
जो मिले राह उसको गले से लगा,
अनकही,अनसुनी प्रीत है ज़िन्दगी।६
नाम है रंग है ख्वाब अहसास है,
भावना पूर्ण नवनीत है ज़िन्दगी । ७
सृष्टि का चक्र यूँ ही चलेगा सदा,
सुरमयी गीत संगीत है ज़िन्दगी। ८
-लक्ष्मी सिंह
नई दिल्ली