ज़िन्दगी
चलते-चलते ज़िन्दगी,जब होती है चूर।
स्नेह भरा दो शब्द तब,करे थकावट दूर।।
करे थकावट दूर,सभी पीड़ा मिट जाती।
ताकत जोश उमंग,ताजगी नूतन आती।।
सत्य समर्पित स्नेह,पुष्प अंतर में खिलते।
फिर मंजिल की ओर,प्रबल होकर हम चलते।।
-लक्ष्मी सिंह
नई दिल्ली