ज़िन्दगी में खुशी नहीं होती
ज़िन्दगी में खुशी नहीं होती।
बिन तेरे ये हसीं नहीं होती।
बेवफाई का दौर ना आता,
तो कभी बेबसी नहीं होती।
प्यार को गर कबूल करते तुम,
यार तुम को कमी नहीं होती।
मुफलिसों को लिखे यहाँ हर गम,
ये खुशी घर पली नहीं होती।
होते धनवान तुमको पाकर हम,
ये लकीरें जुड़ी नहीं होती।
मुख में हो राम मैल दिल में गर,
‘भारती’ बंदगी नहीं होती।।
–सुशील भारती, नित्थर, कुल्लू (हि.प्र.)