ज़िन्दगी में कभी कुछ अलग होने चाहिए
ज़िन्दगी में कभी कुछ,
अलग होना चाहिये ।
रोकर तो सब हँसते हैं,
कभी हंस कर भी रोना चाहिये ।
उम्र बीत गयी अब तो,
इन रस्मों को निभाने में ।
कायदे कानूनों में बांधकर,
इस ज़िन्दगी को बिताने में ।
इक बार ही सही उन,
कानूनों को तोड़ना चाहिये ।
ज़िन्दगी में कभी कुछ,
अलग होना चाहिये ।
पूरा नहीं कोई भी यहाँ,
हर आदमी में कुछ ऐब होता है ।
हरिश्चंद्र तो मिसाल थे,
फिर उनमें भी फरेब होता है ।
पानी सादा ही पीतें हर दम ,
पर कभी तो रंगीन होना चाहिये ।
ज़िन्दगी में कभी कुछ,
अलग होना चाहिये ।
बहुत छोटी है ये ज़िन्दगी ,
रूठने और मनाने के लिए ।
वर्तमान को भूलकर ,
भविष्य के सपने सजाने के लिए ।
दूसरों से तो प्यार,
करता है हर कोई ।
कभी खुद ये भी प्यार,
मगर होना चाहिये ।
ज़िन्दगी में कभी कुछ,
अलग होना चाहिये ।