“ज़िन्दगी मुस्कुराने लगी है”
आज फिर रात की तन्हाई, शोर मचाने लगी है।
जिंदगी की बंदिशे कटी, जिंदगी मुस्कुराने लगी है।
नई किरण ये खुशियाँ है मेरी, इन्हे मुठ्ठी मे कैद करलु।
मन मे उत्शाह लेके जीवन मे, नये रंग भर लू।
छू लू ये जहाँ, सपने सारे झोली मे भर लू।
आशा, नई उम्मीद जगाने लगी है।
आज फिर रात की तन्हाई, शोर मचाने लगी है।
जिंदगी की बंदिशे कटी, जिंदगी मुस्कुराने लगी है।
नई सोच, नया एहसास लेके।
बिना डरे खड़ी हो जायु, नई पहचान लेके।
ये जहाँ अब ,कदमो मे करना है।
नया इतिहास रच, खुद को मुकम्मल करना है।
उमंग भी अब ,जीत का गीत गाने लगी है।
आज फिर रात की तन्हाई, शोर मचाने लगी है।
जिंदगी की बंदिशे कटी,जिंदगी मुस्कुराने लगी है।
जीत के ये जहाँ, सबको दिखउगी।
लड़की हु तो किया, सिर अपना नहीं झुकाउगी।
हर मोड़ पर रोका है सबने, लेकिन अब ना रुकने पाउगी
मे छू लूगी आसमा और जीत का जशन मनाउगी।
देख मेरा उत्साह, मंजिल भी साथ निभाने लगी है।
आज फिर रात की तन्हाई. शोर मचाने लगी है।
जिंदगी की बंदिशे कटी, जिंदगी मुस्कुराने लगी है।