ज़िन्दगी गुज़र रही है!
ये शब तो बस आप की जुस्तजू में गुज़र रही हैं!
इस ही कश्मकश में तो ये ज़िन्दगी गुज़र रही है!
याद करते भी हो कि नहीं क्या मालुम हम को!
सामने आते हो तो पुछते हो कैसी गुज़र रही हैं!
आरज़ु ही नही हैं मुझको सब कुछ हो पास मेरे!
दी हैं खुदा ने ज़िंदगी बस हँस कर गुज़र रही हैं!
पिलाते नहीं वो हमको अपनी नशीली आँखो से!
अब तो साकी तुम्हारे ही मैखाने में गुज़र रही हैं!
इल्म ज़ब होगा कि अब जाना किधर है हमको!
हाय बस तब तक तो अपनी यूँ ही गुज़र रही हैं!
#LafzDilSe By Anoop Sonsi