ज़िन्दगी ग़ज़ल लगने लगी है
बन मुहब्बत का वो साज बजने लगी
प्यार की धुन से आवाज़ सजने लगी।
ज़िन्दगी के खियाबां में गुल प्यार के
क्या खिले सारी दुनिया महकने लगी।
होगा तेरा भला देंगे तुझको दुआ
तेरे हाथों जो रहमत बरसने लगी।
हर भलाई का अंजाम होता भला
नेकियों से ही तो दुनिया चलने लगी ।
देख अश’आरों की तू मेरी बानग़ी
ज़िन्दगी फिर ग़ज़ल आज लगने लगी।
रंजना माथुर
अजमेर (राजस्थान )
मेरी स्व रचित व मौलिक रचना
©