“ज़िन्दगी के दर्द ने”
ज़िन्दगी के दर्द ने कापी, कलम थमाई है।
हम बया नहीं कर पाते होठो से, ऎसी तेरी बेवफाई है।
कुछ कहना है,कुछ कह नहीं पाते।
चुप रहना है ,चुप रह नहीं पाते है।
वक्त और हालातो से ,मेरी लड़ाई है।
हम बया नहीं कर पाते होठों से,ऎसी तेरी बेवफाई है।
टूट के कहीं, बिखर ना जाये l
खूबसूरत सा सफ़र कहीं, ठहर न जाये l
मंजिलों का क्या,उसमे तो खुद अपनो ने आग लगाई है।
हम बया नहीं कर पाते होठों से, ऎसी तेरी बेवफाई है।
आंखो में आशु ,होठो पे मुस्कान लिए है
अपनो में ,गेरो की पहचान लिए है।
मोहब्बत के नाम पे, सिर्फ तन्हाई है।
हम बया नहीं कर पाते होठो से, ऎसी तेरी बेवफाई है।