ज़िन्दगी अब जी नहीं जाती
दर्दे इश्क़ में कोई दवा दी नहीं जाती
ये अजीयत तो दुआ से भी नहीं जाती
इतनी बदमजा सी लगने लगी है
कि ज़िन्दगी अब जी नहीं जाती
मैं सौ सौ बार भी देखूं तुझे लेकिन
मेरी आंखों की तिश्नगी नहीं जाती
मैंने महफ़िल में दिल की बात नहीं की
हर बात हर कहीं पे की नहीं जाती
तुझ से जुदा होना कितना मुश्किल होगा
तेरी जुदाई तो हमसे सोची नहीं जाती
ये गिले शिकवे ‘अर्श’ भुला ही देना तुम
हर एक बात दिल में रखी नहीं जाती