ज़िक्र तेरा लबों पर क्या आया
(25)
ज़िक्र तेरा लबों पे क्या आया ।
चैन दिल को फिर नहीं आया ॥
खुद से बिछड़े न हम मिले खुद से ।
लौट कर वक़्त फिर नहीं आया ॥
दर्द इतना अज़ीज़ था दिल को ।
अश्क आंखों में फिर नहीं आया ॥
आज भी ढूंढती नज़र उसको ।
लौट कर जो फिर नहीं आया ॥
डॉ फौज़िया नसीम शाद