ज़िंदा शायरी
एक बात कहनी है मुझे
अपने देश के फनकारों से
तुम हो जनता के पैरोकार
तुम्हें क्या लेना सरकारों से!!
इससे पहले कि लहू रगों का
जम कर भीतर ही सड़ जाए!
गरमा दो यहां की सर्द हवा
तुम अपनी ललकारों से!!
Shekhar Chandra Mitra
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