ज़िंदा रख
ज़मीर ज़िंदा रख,
कबीर ज़िंदा रख,
सुल्तान भी बन जाए तो,
दिल में फ़क़ीर ज़िंदा रख,
हौसले के तरकश में,
कोशिश का वो तीर ज़िंदा रख,
हार जा चाहे जिन्दगी मे सब कुछ,
मगर फिर से जीतने की वो उम्मीद जिन्दा रख,
बहना हो तो बेशक बह जा,
मगर सागर मे मिलने की वो चाह जिन्दा रख,
मिटता हो तो आज मिट जा इंसान,
मगर मिटने के बाद भी इंसानियत जिन्दा रख।