ज़िंदगी
ज़िंदगी …
तेरे काँधे पे रख अपना सर
ओढ़ गुनगुनी धूप की चादर
सिमट जाऊँ तेरे आग़ोश में
थोड़ी बहकी थोड़ी होश में
इश्क़ में खुद को संवार लूँ
लम्हों में सदियाँ गुज़ार लूँ
अंग अंग रंग जाऊँ तेरे रंग
कुछ दूर चलूँ तेरे संग संग
तू मिलेगी कहाँ ये तो बता
ज़िंदगी अब तो दे तेरा पता
रेखांकन।रेखा