ज़िंदगी
आसान हो जाती है जिंदगी
जब सीख लेते हैं दर्द में भी मुस्कुराना
रिश्तो में साजिशों की गहराई है
फिर भी किसी के लिए द्वेष भाव क्या रखना
माफ करना और आगे बढ़ जाना
जिंदगी की कश्ती में सवार हो
तूफान तो हिस्सा है इस जिंदगी का
जरूरी है मुस्कुराते हुए साहिल को पाना
अफ़र्सुदा होकर भी जीना क्या जीना
समर्पण भाव से जीते रहो जिंदगी को
ये तो उसूल है जिंदगी का
गलती करने के बाद में पड़ता है पछताना
जीवन में जो करीब है उसकी अहमियत कहां
एहसास तब होता है
जब बन जाता है वह सिर्फ यादों का नज़राना
कभी कभी कुछ हासिल करने के लिए खोना भी पड़ता है
और कभी कभी अपनों की दगा ही बन जाती है दवाखाना
तकलीफों की भी अपनी एक अलग ही अदा है
निशब्द तकलीफें भी बता देती हैं कौन है अपना कौन है अनजाना
शिकायत क्यों करें किसी से
अपनों को नहीं पड़ता कभी दर्द बताना
जो करीबी था वो ही आज रक्त रंजित जीवन युद्ध में खड़ा है
आसान तो नहीं होता फिर विश्वास कर पाना
अतीत के पन्नों को खोलकर क्या हासिल
क्या जरूरी है अपने वर्तमान को भी अब्तर करते चले जाना
छोटी सी जिंदगी है
अच्छा होगा ना- शिकवा, गिला भुलाकर जीवन में एक दूसरे का साथ निभाना
जीवन में एक दिन खामोश हो जाएंगे हम सभी
फिर कहां होगा दोबारा हम सभी का मिल पाना
एक न एक दिन हम सभी को संसार को छोड़कर उफ्क के पार है जाना
रह जायेगा फिर कातिब ज्योति की जिंदगी की किताब में अंदाज ये शायराना।
-ज्योति खारी
*अफर्शुदा- उदास
*अब्तर- नष्ट
*उफ्क- क्षितिज
*कातिब- लेखक