ज़िंदगी…
“उदास रहें, तो पूरी ज़िंदगी याद आएगी।
खुश रहें, तो जैसे एक नई ज़िंदगी मिल जाएगी।
मत रुको ऐ मुसाफिरों, उदास रहने के लिए।
चलते रहो यारों, खुशियों से मुलाक़ात हो जाएगी।
रुकोगे तो ज़िंदगी तड़पाएगी।
चलोगे तो ज़िंदगी हँसाएगी।
ज़िंदगी तो ज़िंदगी है, तुम्हें जीना सिखाएगी।
एक बार जीना सीख गए, तो ज़िंदगी मुस्कुराएगी।
थक गए हो, तो ज़िंदगी थोड़ी देर आराम दिलाएगी।
हार जो मान ली, तो ज़िंदगी नाराज़ हो जाएगी।
पहुंचा कर तुम्हें तुम्हारी मंज़िल तक, ये तुमसे दूर चली जाएगी।
जो आने की कोशिश करोगे इसके पास, ये तुम्हारे सिर्फ़ ख़्वाबों में चली आएगी।
वक्त-सी है ये ज़िंदगी, वापिस आ नहीं पाएगी।
बुलाओगे इसे, फिर भी नहीं आएगी।
पल-सी है ये ज़िंदगी, कुछ ही पलों की है ये ज़िंदगी!
जी लो इस पल को, वरना लापता हो जाएगी ज़िंदगी!”
– सृष्टि बंसल