ज़िंदगी के मायने
ज़िंदादिल ख़ुशी के पलों भरी छोटी ज़िंदगी ,
ज़िंदा लाश ढोते हुए लम्बी ज़िंदगी से बेहतर है।
ज़िंदगी अपनी ख़ुशी औरों में लुटाकर और उनको ख़ुश देख ख़ुश होने में हे ,
ना कि अपने दर्द का असर औरों में डालकर उन्हे भी दुःखी कर देने में है।
ज़िंदगी खूबसूरत है इसे बनाने और बिगाड़ने में अपनी-अपनी सोच और ‘अमल का असर है ,
कोई इसे अपनी सोच से ख़ुशगवार बना गुज़ार देता है ,
कोई इससे हारकर मायूस ग़मगीन हो गुज़ारता है ,
अपने और अपनों के लिये तो ज़िंदगी सभी जीते हैं ,
कभी औरों के लिये भी ज़िंदगी जी कर देखो ,
रूहानी चैन , ‘अज़ाब और सवाब के
मायने समझ आ जायेंगे ,
ज़िंदगी जीने का सलीका क्या होता है , और इंसानियत के मायने समझ आ जायेंगे ।