ज़िंदगी के तजुर्बे
खर्च हुई है या जमा हुई है
ज़िंदगी जैसे – जैसे गुजरी
हादसों से तार-तार हुई है
हंँसते – रोते वक्त बिता कर
बस तुझसे मुलाकात के वक्त
एक तजुर्बा ऐसा गुज़रा
ज़िंदगी हसीन यादगार हुई है ।।