Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
27 Oct 2024 · 1 min read

ज़िंदगी की सिलवटें

ये सन्नाटे बड़े गहरे हैं ,शोर मचाने से भी नहीं जाएँगे
इतने हिस्सों में बँट गया हूँ मैं ,तुमसे पहचाने नहीं जायेंगे l

ग़म इतने कम भी नहीं हैं अपने ,कि बता दिए जाएँ ,
ज़िक्र भी छेड़ा अगर , कहने में जमाने लग जाएँगे l

इक उम्र तलक तलाशते रहे हम इस सहरा में पानी ,
अब तो कोई कहता है वहाँ है, तो पीने भी नहीं जाएँगे ।

लाख ज़ख्म खाकर भी ज़िंदा रहे हैं हर हाल में ,
एक धोखा गर और मिला , तो क्या हम मर जाएँगे !!!

डा राजीव “सागर”

70 Views
Books from Dr. Rajeev Jain
View all

You may also like these posts

कुंडलिया
कुंडलिया
अवध किशोर 'अवधू'
देश हमारा
देश हमारा
ओमप्रकाश भारती *ओम्*
सजा मेरे हिस्से की उनको बस इतनी ही देना मेरे मौला,
सजा मेरे हिस्से की उनको बस इतनी ही देना मेरे मौला,
Vishal babu (vishu)
-शेखर सिंह
-शेखर सिंह
शेखर सिंह
आज असंवेदनाओं का संसार देखा।
आज असंवेदनाओं का संसार देखा।
Manisha Manjari
मनी प्लांट
मनी प्लांट
कार्तिक नितिन शर्मा
ऋतु बसंत
ऋतु बसंत
Karuna Goswami
नजराना
नजराना
विनोद वर्मा ‘दुर्गेश’
पुस्तकों की पुस्तकों में सैर
पुस्तकों की पुस्तकों में सैर
Mrs PUSHPA SHARMA {पुष्पा शर्मा अपराजिता}
बदल रही है ज़िंदगी
बदल रही है ज़िंदगी
Shekhar Chandra Mitra
अनुराग
अनुराग
Bodhisatva kastooriya
"जीवन का आनन्द"
Dr. Kishan tandon kranti
होली
होली
Madhuri mahakash
बिन बोले ही  प्यार में,
बिन बोले ही प्यार में,
sushil sarna
मां की आँखों में हीरे चमकते हैं,
मां की आँखों में हीरे चमकते हैं,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
प्रकृति के आगे विज्ञान फेल
प्रकृति के आगे विज्ञान फेल
ऐ./सी.राकेश देवडे़ बिरसावादी
2996.*पूर्णिका*
2996.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
नई नई आंखे हो तो,
नई नई आंखे हो तो,
पूर्वार्थ
🙅सब एक बराबर🙅
🙅सब एक बराबर🙅
*प्रणय*
लोग मेरे इरादों को नहीं पहचान पाते।
लोग मेरे इरादों को नहीं पहचान पाते।
Ashwini sharma
क्यों बे ?
क्यों बे ?
Shekhar Deshmukh
*होली*
*होली*
Dr. Vaishali Verma
कुंडलियाँ
कुंडलियाँ
seema sharma
हॉर्न ज़रा धीरे बजा रे पगले ....देश अभी भी सोया है*
हॉर्न ज़रा धीरे बजा रे पगले ....देश अभी भी सोया है*
Atul "Krishn"
जब बातेंं कम हो जाती है अपनों की,
जब बातेंं कम हो जाती है अपनों की,
Dr. Man Mohan Krishna
आनन्द का आनंद
आनन्द का आनंद
Mahesh Tiwari 'Ayan'
मुक्तक
मुक्तक
नूरफातिमा खातून नूरी
अफ़वाह है ये शहर भर में कि हमने तुम्हें भुला रक्खा है,
अफ़वाह है ये शहर भर में कि हमने तुम्हें भुला रक्खा है,
Shikha Mishra
पंछी अकेला
पंछी अकेला
मिथलेश सिंह"मिलिंद"
मैं जब जब भी प्यार से,लेता उन्हें निहार
मैं जब जब भी प्यार से,लेता उन्हें निहार
RAMESH SHARMA
Loading...