जीवन इसी का नाम है
समुद्र मंथन चल रहा है
हो रहा कोई मज़ाक तो नहीं
अमृत चाहिए सबको
हलाहल किसी को नहीं
अमृत के साथ विष भी
मंथन से निकलता है
सुख के साथ दुख भी
इस जीवन में मिलता है
है यही सच्चाई जीवन की
हम समझना नहीं चाहते
अपने जीवन में कोई दुःख
कभी देखना नहीं चाहते
सुख के साथ साथ होंगे
दुख भी जीवन में
जन्म हुआ है तो आयेगी
मौत भी जीवन में
मिलना है तो बिछड़ना भी
जीवन की सच्चाई है
आज बारात आई है अगर
कल अवश्य विदाई है
शुरू हुआ जो काम, उसका
कभी खत्म होना निश्चित है
पैदा हुआ है अगर तू आज
कभी मरना भी सुनिश्चित है
पियेगा जो हलाहल
वही शिव बन पाएगा
दुखों से डरने से तुम्हारा
ये जीवन न चल पाएगा
दुख, दर्द, मुसीबतों का
जब करोगे सामना तुम
जीतकर इनसे ही कर पाओगे
अपना जीवन सफल तुम