ज़हरीली हवा
पता नहीं कब मर जाएं!
क्यों नहीं कुछ कर जाएं!!
हम उगें कोपल बनकर
इससे पहले कि सड़ जाएं!!
यह ज़हरीली हवा कहीं
घोंट ना डाले दम सबका
जाते-जाते फूलवारी को
अपनी महक से भर जाएं!!
Shekhar Chandra Mitra
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