ज़माने की नजर से।
ज़माने की नजर से कभी तुम ना देखना हमको।
जमाना है फरेबी तुम फरेबी ना समझना हमको।।
गर मौत जुदा कर दे कभी जिंदगी में हमें तुमसे।
तुम सदा बद नजर से बचा कर रखना खुद को।।
तू चाहे तो इश्क में आजमाइश कर लेना मेरी।
मिलेगी हमारे इश्क में सिर्फॊ सिर्फ वफा तुमको।।
दौलत के दम पर दुआ करवाते हो इंसानों से।
पैसे की नुमाइश है सवाब ना समझना इसको।।
दुखों का साया हटाके हम तुमको हंसाएंगे।
बस अपने सारे ही गम तुम दे देना इक हमको।।
डरा देता है मुझको जाकर मत्था टेकना तेरा।
अंजाने में शिर्क में मुब्तिला ना करले तू खुदको।।
ताज मोहम्मद
लखनऊ