ज़माना साथ था कल तक तो लगता था अधूरा हूँ। ज़माना साथ था कल तक तो लगता था अधूरा हूँ। नहीं अब दूर तक कोई मुकम्मल हो चुका हूँ मैं।। ◆प्रणय प्रभात◆