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13 Apr 2024 · 1 min read

ज़माना साथ था कल तक तो लगता था अधूरा हूँ।

ज़माना साथ था कल तक तो लगता था अधूरा हूँ।
नहीं अब दूर तक कोई मुकम्मल हो चुका हूँ मैं।।

◆प्रणय प्रभात◆

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