ज़माना बहुत खराब है !!
पहले समय में नारियां पहनती थी ,
मात्र शालीन भारतीय परिधान ।
तो भी बुजुर्ग वर्ग की टीका टिप्पणी होती थी ,
हो जाए जरा सा गला गहरा या टांगे नंगी ,
गुस्से से घूरा करते थे वृद्ध जन ।
और कहते थे जमाना बहुत खराब है…
पहले गाए जाते थे प्रेम भरे तराने ,
तो बुजुर्गों उन्हें बेशर्म की उपाधि देते ।
घर में गीत संगीत के माध्यम सारे ,
फौरन बंद करवा देते थे ।
इसके बावजूद फिर भी कहते थे ,
ज़माना बहुत खराब है …
पहले ज़माने में बच्चे माता पिता के सामने ,
मुंह भी नहीं खोलते थे ।
बड़े आज्ञाकारी ,सुशील और संस्कारी होते थे ,
उसके बावजूद जरा सा किसी बात पर ,
ना नुकुर किया तो ..
भाई ! क्या करें जमाना खराब है ..
प्रेम विवाह करने की बात छोड़ो ,
प्रेम करना भी गुनाह था ।
किसी प्यारे की तरफ देखना ,और
माता पिता को अपनी पसंद बताना ,
घोर पाप था ।
बेचारे लड़का लड़की मन मार कर ,
समझौता कर लेते थे ।
फिर भी बुजुर्गों से सुनते थे ,
ज़माना बहुत खराब है …
हम कभी जब तन्हाई में होते है ,
आज और कल की तुलना करते है ।
और सोचते हैं उस ज़माने के बुजुर्गवार,
इस युग में होते तो क्या सोचते ?
या उनके समय की भुक्त भोगी पीढ़ी ,
आज के समय पर क्या सोचती होगी ?
वैसे हर पुरानी पीढ़ी अपने दौर ,
को नई पीढ़ी के दौर से बेहतर बताती है ।
“” हमारा जमाना बहुत अच्छा था “”
कहकर अपने पुराने दिनों को याद करती है।
बेशक वो कलयुग का प्रारंभिक दौर था ,
इस युग से कुछ अच्छा ही होगा ।
अब कलयुग पतन के ढलान पर है ,
बेशर्मी , अश्लीलता , बदजुबानी , असभ्यता ,
और अमानवीयता आदि का बोलबाला
तो अवश्य होगा ।
तो ज़माना अब जायदा खराब है ।