ज़बरन ही हामी भराई गई थी
ज़बरन ही हामी भराई गई थी
शादी के मंडप बिठाई गई थी
अजीब सी हालत थी दिल की मगर
मुस्का कर फोटो खिचाई गई थी
ज़बान- ओ -आँखे रखी बंद हमेशा
बातें ही ऐसी सिखाई गई थी
गैरों का जीवन उजालों से भरने
मानिंद शमां के जलाई गई थी
चाही जो मैने हवाएँ खुली सी
रस्मों की बस दी दुहाई गई थी
अश्को की धारा बहा ले चली थी
मेरी तो माँ की कमाई गई थी
हुनर को ‘सरु’ के सराहा कभी ना
बातें ही बातें बनाई गई थी