#कुंडलिया//जहालत तब्लीगी जमात की
मरकज़ शिक्षा ले चले , कोरोना के संग।
हमला डॉक्टर पर करें , हुए बुद्धि से नंग।
हुए बुद्धि से नंग , मूर्ख पत्थर बरसाएँ।
रोगी के भगवान , समझ इनको ना आएँ।
सुन प्रीतम की बात , सभी को इनका अचरज।
मानवता के शत्रु , करें क्यों पैदा मरकज़।
अपनी ख़ुशियाँ त्याग के , जनसेवक हैं आज।
नमन उन्हें तुम कीजिए , पहना योद्धा ताज़।।
पहना योद्धा ताज़ , तभी हारे कोरोना।
जीत सकें हम जंग , नहीं अवसर ये खोना।
सुन प्रीतम की बात , सुरक्षा माला जपनी।
उत्साह बढ़े आज , तभी रक्षा हो अपनी।
मरकज़ मुल्ला जानिए , चक्षु ज्ञान के खोल।
नाजुक घड़ियाँ देश की , जाति धर्म मत तोल।।
जाति धर्म मत तोल , एक हो लड़ो लड़ाई।
कोरोना की हार , लिए सभी की भलाई।
सुन प्रीतम की बात , बढ़ते रोगी यकायक।
संकट मंज़र घोर , दिखा गई आज मरकज़।
ज़न्नत क्या दोजख़ मिले , देख तुम्हारे कर्म।
कोरोना फैला दिया , दूषित करके धर्म।।
दूषित करके धर्म , घोर जहालत दिखाई।
ये तब्लीग जमात , नज़र दुश्मन-सी आई।
सुन प्रीतम की बात , अभी तुम माँगो मन्नत।
अल्ला करदे माफ़ , मिले फिर शायद ज़न्नत।
#आर.एस. ‘प्रीतम’