जहान
काश ग़र कोई ऐसा जहान बनाया या बताएँ जहाँ,
रात की बेचैनियाँ नहीं हाँले दिल सुकून हो,
दर्द आँसू तन्हाई और मायूसी ना रहती हो,
दिल जहाँ ख़ुशहाली के नग़मे गाता हुवा हो,
जहाँ कभी अपनों ने अपनें को खंज़र ना धोपा हो,
काश ग़र कोई ऐसा जहान बनाया या बताएँ जहाँ,
चौतरफ़ा खुशियाँ प्यार और दोस्ती के नग़मे हो।।
मुकेश पाटोदिया”सुर”