जहां की रीत
इस जहां की यही रीत है !
हौसलों से मिले जीत है!!
गुनगुनाओ अगर प्यार से !
ज़िंदगी इक मधुर गीत है!!
आदमी मुतमइन वो रहे !
नेकियों से जिसे प्रीत है !!
पाक मन को रखे जो बशर !
डोलती फिर नहीं नीत है !!
बात पूछे मुसाफ़िर सदा !
कौन किसका यहाँ मीत है !!
धर्मेंद्र अरोड़ा”मुसाफ़िर”
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