जहाँ माँ मुस्कुराती है
दिलों जां वार कर वो ज़िन्दगी सबकी बनाती है
ज़हर पीकर वो सबको ही सदा अमृत पिलाती है।
कड़ी तपती दुपहरी हो कि मौसम तेज़ बारिश का
बनी वो ढाल औलादों की कुदरत को हराती है।
वहां भगवान की देखो सदा रहमत बरसती है
सदा रोशन रहे घर वो जहाँ माँ मुस्कुराती है।
न लाना आँख में उसके कभी तुम भूल कर आँसू
कि माँ के रूप में औलाद ईश्वर को रुलाती है।
करो सेवा सदा माँ की बड़ा ही पुण्य पाओगे
कि माँ है रूप भगवन का जो घर को स्वर्ग बनाती है।
रंजना माथुर
अजमेर (राजस्थान )
मेरी स्व रचित व मौलिक रचना
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