जहाँ बचा हुआ है अपना इतिहास।
अपनी संस्कृति अपनी ही है,
इसमे निहित है देशी प्यार,
कला, भाव और रीत रिवाज,
पालन पोषण नस नस मे समाये,
जीता हूँ इसके बदौलत,
जहाँ बचा हुआ है अपना इतिहास।
चुन चुन कर, गढ़ गढ़ के ,
सदियों से बनाया है अपनी परंपरा,
यादो की मिठास घुली है धरोहर मे अपनी,
संस्कार जीवन है ,जीवन मे जिंदा हूँ इससे,
पहचान इसी से होती अवशेष रूप मे,
जहाँ बचा हुआ है अपना इतिहास।
झलक देखने को मिलती ही है,
सम्मान और गौरव उसी से ही है,
बदलते स्वरूप मे भी जीवित रहे,
संस्कृति इतनी विशाल धरोहर,
इतिहास गवाह है, सच है क्या ,
जहाँ बचा हुआ है अपना इतिहास।
रचनाकार
बुद्ध प्रकाश,
मौदहा हमीरपुर ।