जहाँ को प्यार का नगमा सदा सुनाएँगे हम
जहाँ को प्यार का नगमा सदा सुनाएँगे हम
पयाम प्यार का देकर जहाँ से जाएँगे हम
कहा है हमने सदा जो वही किया भी है
किया जो आप से वादा है वो निभाएँगे हम
जहाँ करे न ये रुस्वा तुम्हें किसी भी तरह
मिले जो ज़ख़्म मुहब्बत में वो छिपाएँगे हम
मिले क़तार ग़मों की मिले ख़ुशी न कोई
किसी भी हाल में बेशक़ हों मुस्कुराएँगे हम
तुम्हारे आँख के आँसू की है कसम हमको
कभी भी फिर से तुम्हें छोड़कर न जाएँगे हम
पता लगा है हमें दर्दे दिल का जिस दम से
लिया है सोच किसी का न दिल दुखाएंगे हम
ग़मों को सबके ही ‘आनन्द’ मिल के बाँटेंगे
कोई भी दौर हो सबको गले लगाएँगे हम
– डॉ आनन्द किशोर