जहर है किसी और का मर रहा कोई और है
जहर है किसी और का मर रहा कोई और है
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समझोगे विज्ञान तभी दुनिया को अपना मानोगे,
पर्यावरण एक दुनिया का ऐसा जब तुम जानोगे।
जैवविविधता हमसफर नहीं दूसरा कोई और है,
जहर है किसी और का मर रहा कोई और है।
यहाँ बीज बोता और कोई काटता कोई और है,
सब कीटनाशक डालते करता नहीं कोई गौर है।
कीट तो हैं बच निकलते हमको ही नहिं ठौर है,
जहर है किसी और का मर रहा कोई और है।
खेतों में फसलें खडीं अरु आम पर भी बौर है,
बिन कीटनाशक कुछ न होगा ये दवा का दौर है।
अब दूध दें भैंसें विषैला घास जिनका कौर है ,
जहर है किसी और का मर रहा कोई और है।
बीजों के संग दवा बोकर माटी में घोल ज़हर है,
खाद भी दम खुद हुई नहिं केंचुओं को ठौर है।
डालते किसी और पर यहाँ झेलता कोई और है,
ज़हर है किसी और का मर रहा कोई और है।
कौन अपना है ?………………. क्या पराया है ?
क्या खोया है ?……………………क्या पाया है ?
स्रोत ऊर्जा के बहुत पर सबसे अच्छा सौर है,
जहर है किसी और का मर रहा कोई और है।