जहर ना इतना घोलिए
जहर ना इतना घोलिए
कि पीते ही प्राण गंवाए
मिसरी क्यों ना परोसिये
खाने को प्राण कहां से लाए
पारस नाथ झा
जहर ना इतना घोलिए
कि पीते ही प्राण गंवाए
मिसरी क्यों ना परोसिये
खाने को प्राण कहां से लाए
पारस नाथ झा