जवाब कौन देगा ?
कब से कर रहे हैं हम बयानबाजी ?
कोई भी फौत जब सीमा पर होती है,
दुश्मनों की बमबारी या गोली से,
हम कहते हैं यह अच्छा नहीं है,
हमारे सब्र की परीक्षा मत लीजिए।
कब से कहते आ रहे हैं ऐसा हम,
दुश्मनों को नेस्तनाबूद करने की बात,
लेकिन क्या हुआ है दुश्मनों का सफाया ?
या फिर क्या उनके कानों पर जूं रेंगी है ?
क्योंकि हमारे वश में कुछ नहीं है,
हमारे पास नहीं है इतने अधिकार,
हम तो किसी पर निर्भर है,
हम ताकते हैं मुहँ महाशक्तियों का,
क्योंकि उनसे हमने समझौते जो किये हैं।
लेकिन नष्ट तो हमारा चमन हो रहा है,
बर्बाद तो हमारा वतन हो रहा है,
आजादी तो हमारी खत्म हो रही है,
और खून तो अपने लोगों का बह रहा है,
जिनकी हुई है सूनी मांग और कोख,
अपने भाई का इंतजार राखी के दिन,
कर रही है जो बहिनें राखी लेकर,
इन सभी को और इन सभी सवालों का,
जवाब कौन देगा ?
शिक्षक एवं साहित्यकार
गुरुदीन वर्मा उर्फ़ जी.आज़ाद
तहसील एवं जिला- बारां(राजस्थान)