जवानों की याद में
हम आहत हैं
सेना लहूलुहान
हे वीरों ,मेरी लेखनी
करती तुझे सलाम ।
संकट की घड़ी में
देश साथ रहे
घरनी पर तेरे
ईश्वर का हाथ रहे;
तेरे बलीदानों की बदला
तेरे साथी लेंगे
वे एक बार नही
कई बार लड़ेंगे ,
दुष्ट दरिंदों की क्या गिनती
वे मनावता के दुश्मन हैं,
बर्बाद कर देते हैं
जो खिलते चमन हैं ।