जवानियाँ प्रणम्य हैं।
हमको दिलातीं याद शहीदों की बार बार देश में बनी हैं जो निशानियाँ प्रणम्य हैं।
प्रेरणा बनी हैं आज बलिदान देने हेतु बलिदानियों की वो कहानियाँ प्रणम्य हैं।
जिनकी रगों में रक्त मारता उबाल रहा रक्त की वो आज भी रवानियाँ प्रणम्य हैं।
भारती के मान स्वाभिमान हेतु जान दे जो गईं हैं जवानियाँ जवानियाँ प्रणम्य हैं।।
प्रदीप कुमार “प्रदीप”