जल है तो जीवन है
दिनांक…..08/06/2021
====जल है तो कल है====
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जल है तो जीवन है, वर्ना बचा कहां कल है।
बिन पानी के जीवन,मरता बड़ा पल पल है।।
पर्यावरण बचाना है,पानी हमें रखाना है।
मत बहाओ बिना काम,घर- घर ये समझाना है।।
जल है तो कल है,कमी से छीन गया नल है।
कुआं सारे बंद हुए, पानी संग बड़ा छल है।।
पानी खुला नहीं छोड़ो, पानी से रिश्ता जोड़ों।
तुमने करी गर बेईमानी,सांसों से रिश्ता तोड़ो।।
बिन पानी मछली तडपै,बिन पानी ना फ़सल उगे।
पानी बिन सागर सूखे,बिन पानी ना प्यास बूझे।।
इसे बचाओ ना यूं बहाओ,ये जीवन आधार है।
सावन की रिमझिम इससे,ये भांदो का प्यार है।।
“सागर” जल बिन नहीं है जीवन,इसको आज बचालो तुम।
खुद को अगर बचाना है तो,इसको आज रखालो तुम।।
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मूल रचनाकार
जनकवि/बेखौफ शायर
डॉ. नरेश कुमार “सागर”
इंटरनेशनल साहित्य अवार्ड से सम्मानित
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