जल संरक्षण बहुमूल्य
जल का संरक्षण करना,
है नहींं कोई बड़ी बात,
घर – घर यदि ध्यान दे,
हर मानव पहचान ले ।
जल संरक्षण अपना दायित्व,
जन-जीवन है इसके आधीन,
बच्चा बूढ़ा नौजवान,
रखे सभी इसका ख्याल।
जल है कितना अनमोल,
पूछों उस पपीहा से मोल,
प्यास लगी हो जिसको गर्मी में,
बूँद–बूँद को तरसता है क्यों ?
जरूरत में भटकता क्यों ?
बाजारों में बिकता क्यों ?
सूखा खेतो में दिखता क्यों ?
जल के आभाव से कोई मरता क्यों ?
एक ही बात एक ही काट,
जल का समझो तुम मोल,
जल संरक्षण बहुमूल्य,
अमृत है, प्रकृति का जो जीवन स्रोत ।
रचनाकार –
बुद्ध प्रकाश ,
मौदहा हमीरपुर।