जल जैसे रहे
जल जीवन देता है सबको जल विना कोई नहीं रह सकता,
जल हमेशा शीतल होता है जल ज्यादा गर्म नहीं रह सकता।
जल नित गहराई छूता है जल ऊंचाई पर नहीं चढ़ता है ,
जल ह्रदय को शीतल करता मस्तिष्क पर नहीं बढ़ता है।
जल का कोई रंग नहीं होता जिसमें मिलता वही बनता है,
जल का कोई आकार नहीं होता जैसे रखो वैसे ही ढलता है।
जल तीनों रूपों में होता ठोस द्रव और गैस बन जाता,
जल औरों की सेवा में खुद मिटता पर सबको मिलाता।
जल जब आटे में मिलता है मानव हित रोटी बन जाती,
जल दूध में मिलकर खुद जलकर फिर रबड़ी बन जाती।
जल जब सीपी में पड़ता है तब तो वो मोती बनता है,
जल जब देवों पर चढ़ता है तब तो वह प्रसाद बनता है।
जल के द्वारा धरती मां पर हरी भरी फसल उगती है,
जल से टरवाइन घूमती तब उससे बिजली वनती है ।
जल विभिन्न रूपों में वदलकर सबको लाभ पहुंचाता ,
जल खुद को अर्पित कर औरों से कुछ नहीं चाहता ।
जल हमेशा पवित्र रहता है औरों की गंदगी धोता है,
जल विना कुछ नहीं होता जल सबका जीवन होता है।
जल से हम भी शिक्षा लेकर खुद भी जल जैसे हो जायें,
पर हित जीवित रहे हमेशा पर हित ही हम भी वलिजायें।