जल जंगल जमीन जानवर खा गया
क्या करूं, तुम जितने निस्वार्थ हो, करते सदा तुम परमार्थ हो
उतना ही मैं स्वार्थी हो गया,जल जंगल जमीन ,जानवर खा गया।।
क्या करूं, तुम जितने निस्वार्थ हो, करते सदा तुम परमार्थ हो
उतना ही मैं स्वार्थी हो गया,जल जंगल जमीन ,जानवर खा गया।।