जल गजल
कदम दर कदम हम बढा करते हैं ।
अपनी ऊँचाइयों तक यूँ ही चढ़ा करते हैं ।
लिखते कम है आजकल खुद की बातें ।
आपके सारे जज्बात पढा करते हैं ।
ईश्वर मुझको न इतना बड़ा बना
देखता हूँ कि अमीर अकडा करते हैं ।
नशा बड़ी चीज है गंदी मानो।
जिसपर चढती है नाली में गिरा करते हैं ।