जल की वेदना…
सोच मेरे मारे में, तू क्यों है परेशां,
बचा ले तू मुझे, मुझपे टिका है सारा जहाँ ।
न रहूँगा मैं, तो तेरा क्या अस्तित्व रहेगा,
गर न बचा मैं, तो तू कैसे बचेगा ।
अहमियत मेरे नाम की, तू जल्द समझ ले,
हुई चूक गर यहाँ, न कोई जीव बचेगा ।
है दुनिया मुझसे, मेरा नाम है जल,
“आघात” बचा ले तू इसे, वरना पछतायेगा कल ।