जल की बौछार लिए (घनाक्षरी
जल की बौछार लिए
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घनाक्षरी- १
बरसात आ गई है, जल की बौछार लिए।
तपती धरा की देखो ,प्यास शांत करने।
घनघोर काली घटा, छा गई सभी जगह।
शीतल हवा मधुर, मन लगी हरने।
बारिश संगीत मय, रिमझिम आ गई है।
सूखते तालाब नदी, पोखरों को भरने।
मन में जगी उमंग, स्नेह भावना के संग।
अधरों से मंद मंद, बोल लगे झरने।
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घनाक्षरी- २
तृप्त हो रही धरा है, बरखा बहार आई।
सौंधी सी सुगंध चहुं, ओर लगी फैलने।
हरे भरे हों गए हैं, प्रकृति के छोर सब।
पुष्प की लताएं लगी, आसमान देखने।
आंख खोल कोंपले भी, मुस्कुराहटों के संग।
भावनाओं में मृदुल, रस लगी घोलने।
कोयल के कूकने से, गुंजित है आम्रकुंज।
स्नेह भाव में मगन, मन लगे डोलने।
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– सुरेन्द्रपाल वैद्य।
मण्डी (हिमाचल प्रदेश)