Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
3 Apr 2021 · 1 min read

मुक्तक -विविधा-जली कटी बातें सदा

चित्रकाव्य
एक मुक्तक:-

हैवानों के क्रूर हाथ ने, देखो कैसी दशा बना दी।
भूल गया मर्यादा सारी, अपनी फिर औकात दिखा दी।
अस्त व्यस्त कर डाले कपड़े, तोड़ दिए उसके सब सपने,
शर्मसार मानवता देखो,इक नारी चिर नींद सुला दी।

चतुष्पदी
प्रदत्त शब्द-टकराते।

गहन ताप बढ जाता है जब विटप झुलस जाते हैं।
आंगन चमन सभी के घर प्रेम पुष्प मुरझाते है
आपस में भाई भाई जब, भिड़ जाते हैं अक्सर,
लालच हद से बढ जाता और स्वार्थ टकराते हैं।
*****************”
ध्रुव शब्द – चमचागिरी
आधार छंद – लावणी

चमचागिरी नहीं करते जो,सुखी सदा ही रहते हैं।
लेकिन कदम कदम वो चलकर, मंजिल अपनी बढते हैं।।
चमचों से जो घिरे हुए हैं,अक्सर ठोकर हैं खाते ,
मंजिल पाकर फेल हुए वो,मेरे पापा कहते हैं।।

?अटल मुरादाबादी ?

“द्वै मुक्तक ”
जली कटी बातें सदा ,करती हैं आघात।
मीठी बातें नित सदा ,करती प्रेम प्रपात।
जली कटी बातें कभी ,करना मत इंसान।
माफ़ उन्हें करते नहीं, देते हरि खुद मात।।

जली कटी बातें सुनीं,गया विभीषण रूठ।
रावण के दिन ढल गये,छूट गया सब झूठ।
शरण राम की वो गया,छोड़ा झूठ प्रपंच,
सब कुछ माटी में मिला,अंत मिला बस ठूँठ।

Language: Hindi
1 Like · 385 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
बसंत बहार
बसंत बहार
ओमप्रकाश भारती *ओम्*
سیکھ لو
سیکھ لو
Ahtesham Ahmad
देता मगर न वोट , अश्रु से रोता नेता (हास्य कुंडलिया)
देता मगर न वोट , अश्रु से रोता नेता (हास्य कुंडलिया)
Ravi Prakash
संत गाडगे सिध्दांत
संत गाडगे सिध्दांत
डॉ विजय कुमार कन्नौजे
घर वापसी
घर वापसी
Aman Sinha
वो सबके साथ आ रही थी
वो सबके साथ आ रही थी
Keshav kishor Kumar
ग़ज़ल/नज़्म - दस्तूर-ए-दुनिया तो अब ये आम हो गया
ग़ज़ल/नज़्म - दस्तूर-ए-दुनिया तो अब ये आम हो गया
अनिल कुमार
पुरातत्वविद
पुरातत्वविद
Kunal Prashant
कविता :- दुःख तो बहुत है मगर.. (विश्व कप क्रिकेट में पराजय पर)
कविता :- दुःख तो बहुत है मगर.. (विश्व कप क्रिकेट में पराजय पर)
राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
*ताना कंटक सा लगता है*
*ताना कंटक सा लगता है*
DR ARUN KUMAR SHASTRI
तुमसे मैं एक बात कहूँ
तुमसे मैं एक बात कहूँ
gurudeenverma198
There are seasonal friends. We meet them for just a period o
There are seasonal friends. We meet them for just a period o
पूर्वार्थ
आनंद
आनंद
RAKESH RAKESH
अतुल वरदान है हिंदी, सकल सम्मान है हिंदी।
अतुल वरदान है हिंदी, सकल सम्मान है हिंदी।
Neelam Sharma
■ नज़्म-ए-मुख्तसर
■ नज़्म-ए-मुख्तसर
*Author प्रणय प्रभात*
मुर्दे भी मोहित हुए
मुर्दे भी मोहित हुए
Dr. Ramesh Kumar Nirmesh
मायका
मायका
Mukesh Kumar Sonkar
बरगद और बुजुर्ग
बरगद और बुजुर्ग
Dr. Pradeep Kumar Sharma
2481.पूर्णिका
2481.पूर्णिका
Dr.Khedu Bharti
"मैं-मैं का शोर"
Dr. Kishan tandon kranti
गांधी से परिचर्चा
गांधी से परिचर्चा
नंदलाल सिंह 'कांतिपति'
चार लाइनर विधा मुक्तक
चार लाइनर विधा मुक्तक
Mahender Singh
“ कितने तुम अब बौने बनोगे ?”
“ कितने तुम अब बौने बनोगे ?”
DrLakshman Jha Parimal
यारा ग़म नहीं अब किसी बात का।
यारा ग़म नहीं अब किसी बात का।
rajeev ranjan
मरने वालों का तो करते है सब ही खयाल
मरने वालों का तो करते है सब ही खयाल
shabina. Naaz
मेरे तात !
मेरे तात !
Akash Yadav
मैं लिखूंगा तुम्हें
मैं लिखूंगा तुम्हें
हिमांशु Kulshrestha
ग़ज़ल
ग़ज़ल
ईश्वर दयाल गोस्वामी
पंचतत्व
पंचतत्व
लक्ष्मी सिंह
फितरत दुनिया की...
फितरत दुनिया की...
डॉ.सीमा अग्रवाल
Loading...