जलियांवाला बाग हत्याकांड
जलियांवाला बाग हत्याकांड के 100 वर्ष पूरे होने पर भारत माँ के
सच्चे वीर सपूतों की सहादत को कोटिशः नमन……
उस ख़ौफ़नाक मंजर को काव्य रूप देने
का लघुतम प्रयास….
कम्पित हो गई थी धरा ,
जब खून की आंधी आई थी
परतंत्र वतन के वीरों पर
जनरल डायर ने गोलियाँ बरसाई थी
भारत माँ की रूह थी काँप गई
आँखे पानी पानी थी
जाने कितनी धड़कने हुई थी खामोश
कितनी उजड़ी कहानी थी
काला दिवस था
आर्यावर्त के इतिहास का वो
लहू की बहीं धाराएं
दर्द की न अनंत सीमायें थी
सिहर उठता है ‘दीप’ यह सोचकर
न जाने कैसा वो मंजर रहा होगा
एक एक दिल ने
न जाने क्या क्या सहा होगा
हजारों ही ऐसे नाम होंगे
जो अभी तक गुमनाम
ऐसे ही हजारों वीरों की शहादतों को
दीप’ का सलाम
-जारी
जय हिंद….