जलवा ए अफ़रोज़।
इस चिलमन को अब रुख से जरा हटा।
जलवा ए अफरोज हो तू पर्दा जरा उठा।।
तुझे तेरे खूबसूरत इस हुस्न का वास्ता।
कुछ नजरे इनायत हमपे भी करदे अता।।
✍️✍️ ताज मोहम्मद ✍️✍️
इस चिलमन को अब रुख से जरा हटा।
जलवा ए अफरोज हो तू पर्दा जरा उठा।।
तुझे तेरे खूबसूरत इस हुस्न का वास्ता।
कुछ नजरे इनायत हमपे भी करदे अता।।
✍️✍️ ताज मोहम्मद ✍️✍️